A Boy
On the hills near villages in the east,
Sometimes in mango orchards, sometimes on dykes,
Sometimes in the lanes, sometimes in the lakes,
Sometimes amongst the merriment of youngsters half-clad,
At dawning, dusk, in the darkness of the night,
Sometimes at fairs, among the pantomime players,
Or lost on quiet by-paths chasing butterflies,
Or sneaking towards the hidden nests of little birds,
Barefoot, no matter what the weather,
Out of school, in deserted abodes,
Sometimes laughing in a group of pretty girls,
Sometimes restless like a whirlwind,
In dreams, floating in the air, flying like a cloud,
Swinging in trees like the little birds,
I see a boy, wandering, carefree, independent,
As the flowing water of mountain streams.
This nuisance acts like my shadow,
Following my every step, no matter where I go,
As if I were an escaped convict. And he asks me : Are you really Akhtar-ul-Iman ?
I acknowledge the blessings of Almighty God;
I admit that He laid down this earth Like a vast bed of velvet and brocade;
I admit that the tent of skies is His benison;
He ordered moon and sun and stars in space;
He brought forth rivers by splitting mountains;
He created me from dust,
And gave me dominion over the earth;
Filled oceans with pearls, and mines with rubies;
Filled the air with bewitching bouquets;
He is the Master, Mighty, Singular, Wise;
He separates darkness from light,
If I know myself, it is His benevolence.
He has given splendour to the greedy, And adversity to me;
Made idiots wealthy, and a beggar out of me;
But whenever I stretch out my hands to beg, The boy asks: Are you really Akhtar-ul-Iman?
My livelihood lies in the hands of others.
All I still control is my mind which understands
That I have to carry the burden the rest of my life,
Till my elements are dispersed, And my pulse stops beating;
That subsisting means forever singing Melody of dawn, or lament of night.
In front of the victors, I cannot even call my song my own:
I have to smile when they say I am singing their song, not mine.
My pen's creations, the work of my sleepless nights,
Have to be passed like a counterfeit coin.
When I think about myself, in sorrow I say
That I am a blister, bound to burst one day.
In short, I wander like the morning breeze, Longing for the morning,
When I seek help from the night, The boy asks: Are you really Akhtar-ul-Iman?
When he does so, in a fury I reply:
That depressed, neurotic soul You keep enquiring for is long dead.
I have wrapped him in the shroud of self deception, And thrown him in the grave of his hopes.
I tell that boy the flame is quenched That was bent on burning all the trash of the world.
The boy smiles, and says softly That's a lie, a fib, a cheat. Look! I am alive.
Translated by Baidar Bakht and Kathleen Grant Jaegar
Sunday, November 7, 2010
Wednesday, June 2, 2010
साबू का बौना पन.
ऐसे में जब कि नेताओं पर आम आरोप यह लगता रहता है कि जनता जिन नेताओं के लिए जान तक गँवा देती है उन के परिवारों की सुध बुध लेने की उन्हें कोई फ़िक्र नहीं होती। दिवंगत राज शेखर रेड्डी के पुत्र ने इस आचरण को छोड़ा है। उन्होंने उन परिवारों से मिलने के लिए एक यात्रा की योजना बनायीं है। हाई कमान ने उनके रस्ते में टांग अड़ा दी है। उसे लगता है कि इस से उनका राजनीतिक क़द ऊँचा होगा। ओर किसका साइज़ कितना होना चाहिए ये हाई कमान तय करेगी। ये हालत उस पार्टी की है जिस ने देश की आज़ादी की लडाई लड़ी है ओर जिसके नेताओं ने देश को दिशा दी है। उनके उत्तराधिकारी अब क़दों की लड़ाई को ज्यादा अहमियत देती महसूस हो रही है.
Friday, February 26, 2010
हम किसके साथ हैं??
बिहार राज्य के एक कैबिनेट मंत्री पिच्छले ६ माह से अपने विभाग में चल रहे घोटाले से औगत थे । उन्होंने सम्बंधित अधिकारीयों को रोकने का प्रयास किया। अधिकारीयों ने अनसुनी कर दी। मुख्या मन्त्री नितीश यादव से शिकायत करने गए, वो मिले नहीं। अपनी ही सरकार के एक मंत्री को उन्होंने ६ माह तक मिलने का समय नहीं दिया। ये कोई खबर नहीं बनी। तंग आ कर मंत्री जी ने मुख्या मंत्री को रजिस्टर्ड पात्र के माध्यम से अपनी चिंता से अवगत कराया। अब तो नितीश जी को एक्शन लेना ही पड़ा होगा। जी हाँ उन्होंने एक्शन लिया....शिकायत करने वाले मंत्री के खिलाफ!!! मंत्री जी से अपना बिस्तर बोरिया बांध लेने को कहा गया।
मुझे ये खबर सब से पहले एक वेबसाइट से मिली। वेबसाइट के न्यूज़ पेज पे आश्चर्यजनक हेडिंग थी "Bihar Exise Minister Gets THE BOOT" और खबर में मंत्री को निकले जाने के निर्णय का कारण ये बताया गया था की मंत्री ने पद की मर्यादा के विपरीत आचरण किया। वेबसाइट एडिटर अगर आदर्श आचरण का भी कुछ सुनहरा उदहारण लिख देते तो हम अज्ञानियों का उद्धार हो जाता। निश्चय ही आपका हक है की आप इस वेबसाइट का नाम जानें और याद रखें। ये कु कृत्य rediff ने अंजाम दिया .
मुझे ये खबर सब से पहले एक वेबसाइट से मिली। वेबसाइट के न्यूज़ पेज पे आश्चर्यजनक हेडिंग थी "Bihar Exise Minister Gets THE BOOT" और खबर में मंत्री को निकले जाने के निर्णय का कारण ये बताया गया था की मंत्री ने पद की मर्यादा के विपरीत आचरण किया। वेबसाइट एडिटर अगर आदर्श आचरण का भी कुछ सुनहरा उदहारण लिख देते तो हम अज्ञानियों का उद्धार हो जाता। निश्चय ही आपका हक है की आप इस वेबसाइट का नाम जानें और याद रखें। ये कु कृत्य rediff ने अंजाम दिया .
Monday, February 22, 2010
रोज़मर्रा के दोहरे क़त्ल..!!
आज मायावती जी की पुलिस ने विधान सभा के सामने प्रदर्शन का रहे बेरोजगारों पर लाठी चार्ज किया। ये लोग बी.एड और बी.pi .डी जैसी परीक्षाएं पास किये हुए थे । अहंकार में डूबे हमारे शासकों के लिए शायद इन डिग्रियों का कोई महत्व न हो किन्तु भारती समाज शिक्षक को भागवान से ऊपर दर्जा देता है। जिनका हर मुमकिन सम्मान होना चाहिए उनको सड़कों पर ज़लील होते देखना अति दुखद था। ये लोग विद्यालयों में खली पदों को भरने की मांग कर रहे थे। आखिर क्या ग़लत था इन की मांगों में?? उन्होंने हिंसा का सहारा भी तो नहीं लिया था ।!! अभी दो तीन दिन पहले पुलिस ने महिलाओं पर बल प्रयोग किया था, राज्यपाल द्वारा कारण पूछे जाने पर सरकार ने सफाई दी की ये लोग कानून हाथ में ले रहे थे। क्या यही इलज़ाम इन शिक्षक बंधुओं पर भी लगेगा या इन कमज़ोर बेरोज़गारों पे क्रूरता की सफाई देने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।??
स्कूलों में पद न भरना पहला अपराध है , दूसरा अपराध है लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटना , तीसरा अपराध है विकास के संसाधनों को मूर्तियों और पार्कों पे जाया करना। और हम सब का अपराध है ख़ामोशी से सब कुछ बर्दाश्त करना और भूल जाना। ये सब आखिर कब तक होता रहेगा???
स्कूलों में पद न भरना पहला अपराध है , दूसरा अपराध है लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटना , तीसरा अपराध है विकास के संसाधनों को मूर्तियों और पार्कों पे जाया करना। और हम सब का अपराध है ख़ामोशी से सब कुछ बर्दाश्त करना और भूल जाना। ये सब आखिर कब तक होता रहेगा???
Friday, February 19, 2010
जिस शान से कोई जान से गया , वो शान सलामत रहती है,
ये जान तो आनी जानी है इस जान की कोई बात नहीं।
पुणे १४ जनवरी : सूचना के अधिकार के हथियार की मदद से , भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्षरत तेज़ तर्रार कार्यकर्त्ता सतीश शेट्टी को अज्ञात हमलावरों ने मार डाला । श्री शेट्टी ने महाराष्ट्र के कई भूमि घोटालों का भन्दाफोड़ किया था । पहली बार उनका नाम तब सुर्ख़ियों में आया था जब करीब एक दशक पहले पुणे मुंबई एक्स्प्रेस्स्वे पर बड़े भू खण्डों को कौड़ियों के मोल हस्तात्न्त्रित किये जाने के रस्ते में रुकावट बन गए थे । उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई ऐसी सार्वजनिक संपत्तियों को बचाने में सफलता हासिल की। एक अनुमान के अनुसार उन्होने कई अरब रुपये के मूल्य की जन संपत्तियों को भू माफियों के हाथ लगने से बचाया।
मामले का दुखद पहलू ये है की मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक कातिल हिरासत में नहीं लिए जा सके हैं । अपने समाज के इन नायकों की सुरक्षा के लिए हम कब जागरूक होंगे???
ये जान तो आनी जानी है इस जान की कोई बात नहीं।
पुणे १४ जनवरी : सूचना के अधिकार के हथियार की मदद से , भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्षरत तेज़ तर्रार कार्यकर्त्ता सतीश शेट्टी को अज्ञात हमलावरों ने मार डाला । श्री शेट्टी ने महाराष्ट्र के कई भूमि घोटालों का भन्दाफोड़ किया था । पहली बार उनका नाम तब सुर्ख़ियों में आया था जब करीब एक दशक पहले पुणे मुंबई एक्स्प्रेस्स्वे पर बड़े भू खण्डों को कौड़ियों के मोल हस्तात्न्त्रित किये जाने के रस्ते में रुकावट बन गए थे । उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई ऐसी सार्वजनिक संपत्तियों को बचाने में सफलता हासिल की। एक अनुमान के अनुसार उन्होने कई अरब रुपये के मूल्य की जन संपत्तियों को भू माफियों के हाथ लगने से बचाया।
मामले का दुखद पहलू ये है की मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक कातिल हिरासत में नहीं लिए जा सके हैं । अपने समाज के इन नायकों की सुरक्षा के लिए हम कब जागरूक होंगे???
Wednesday, January 27, 2010
Voice Of Silent Majority
Some say individual is sinful; Collective will is pure.
others say collection is equally rotten, for sure.
There can't be spoil where conscience is on guard,
stopping greed and notoriety on gate.
Just take pride in declaring the truth, fearless and roar.
find, very much like you, there are many more.
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