Friday, February 26, 2010

हम किसके साथ हैं??

बिहार राज्य के एक कैबिनेट मंत्री पिच्छले ६ माह से अपने विभाग में चल रहे घोटाले से औगत थे । उन्होंने सम्बंधित अधिकारीयों को रोकने का प्रयास किया। अधिकारीयों ने अनसुनी कर दी। मुख्या मन्त्री नितीश यादव से शिकायत करने गए, वो मिले नहीं। अपनी ही सरकार के एक मंत्री को उन्होंने ६ माह तक मिलने का समय नहीं दिया। ये कोई खबर नहीं बनी। तंग आ कर मंत्री जी ने मुख्या मंत्री को रजिस्टर्ड पात्र के माध्यम से अपनी चिंता से अवगत कराया। अब तो नितीश जी को एक्शन लेना ही पड़ा होगा। जी हाँ उन्होंने एक्शन लिया....शिकायत करने वाले मंत्री के खिलाफ!!! मंत्री जी से अपना बिस्तर बोरिया बांध लेने को कहा गया।
मुझे ये खबर सब से पहले एक वेबसाइट से मिली। वेबसाइट के न्यूज़ पेज पे आश्चर्यजनक हेडिंग थी "Bihar Exise Minister Gets THE BOOT" और खबर में मंत्री को निकले जाने के निर्णय का कारण ये बताया गया था की मंत्री ने पद की मर्यादा के विपरीत आचरण किया। वेबसाइट एडिटर अगर आदर्श आचरण का भी कुछ सुनहरा उदहारण लिख देते तो हम अज्ञानियों का उद्धार हो जाता। निश्चय ही आपका हक है की आप इस वेबसाइट का नाम जानें और याद रखें। ये कु कृत्य rediff ने अंजाम दिया .

Monday, February 22, 2010

रोज़मर्रा के दोहरे क़त्ल..!!

आज मायावती जी की पुलिस ने विधान सभा के सामने प्रदर्शन का रहे बेरोजगारों पर लाठी चार्ज किया। ये लोग बी.एड और बी.pi .डी जैसी परीक्षाएं पास किये हुए थे । अहंकार में डूबे हमारे शासकों के लिए शायद इन डिग्रियों का कोई महत्व न हो किन्तु भारती समाज शिक्षक को भागवान से ऊपर दर्जा देता है। जिनका हर मुमकिन सम्मान होना चाहिए उनको सड़कों पर ज़लील होते देखना अति दुखद था। ये लोग विद्यालयों में खली पदों को भरने की मांग कर रहे थे। आखिर क्या ग़लत था इन की मांगों में?? उन्होंने हिंसा का सहारा भी तो नहीं लिया था ।!! अभी दो तीन दिन पहले पुलिस ने महिलाओं पर बल प्रयोग किया था, राज्यपाल द्वारा कारण पूछे जाने पर सरकार ने सफाई दी की ये लोग कानून हाथ में ले रहे थे। क्या यही इलज़ाम इन शिक्षक बंधुओं पर भी लगेगा या इन कमज़ोर बेरोज़गारों पे क्रूरता की सफाई देने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।??
स्कूलों में पद न भरना पहला अपराध है , दूसरा अपराध है लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटना , तीसरा अपराध है विकास के संसाधनों को मूर्तियों और पार्कों पे जाया करना। और हम सब का अपराध है ख़ामोशी से सब कुछ बर्दाश्त करना और भूल जाना। ये सब आखिर कब तक होता रहेगा???

Friday, February 19, 2010

जिस शान से कोई जान से गया , वो शान सलामत रहती है,
ये जान तो आनी जानी है इस जान की कोई बात नहीं।

पुणे १४ जनवरी : सूचना के अधिकार के हथियार की मदद से , भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्षरत तेज़ तर्रार कार्यकर्त्ता सतीश शेट्टी को अज्ञात हमलावरों ने मार डाला । श्री शेट्टी ने महाराष्ट्र के कई भूमि घोटालों का भन्दाफोड़ किया था । पहली बार उनका नाम तब सुर्ख़ियों में आया था जब करीब एक दशक पहले पुणे मुंबई एक्स्प्रेस्स्वे पर बड़े भू खण्डों को कौड़ियों के मोल हस्तात्न्त्रित किये जाने के रस्ते में रुकावट बन गए थे । उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई ऐसी सार्वजनिक संपत्तियों को बचाने में सफलता हासिल की। एक अनुमान के अनुसार उन्होने कई अरब रुपये के मूल्य की जन संपत्तियों को भू माफियों के हाथ लगने से बचाया।

मामले का दुखद पहलू ये है की मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक कातिल हिरासत में नहीं लिए जा सके हैं । अपने समाज के इन नायकों की सुरक्षा के लिए हम कब जागरूक होंगे???