Monday, February 22, 2010

रोज़मर्रा के दोहरे क़त्ल..!!

आज मायावती जी की पुलिस ने विधान सभा के सामने प्रदर्शन का रहे बेरोजगारों पर लाठी चार्ज किया। ये लोग बी.एड और बी.pi .डी जैसी परीक्षाएं पास किये हुए थे । अहंकार में डूबे हमारे शासकों के लिए शायद इन डिग्रियों का कोई महत्व न हो किन्तु भारती समाज शिक्षक को भागवान से ऊपर दर्जा देता है। जिनका हर मुमकिन सम्मान होना चाहिए उनको सड़कों पर ज़लील होते देखना अति दुखद था। ये लोग विद्यालयों में खली पदों को भरने की मांग कर रहे थे। आखिर क्या ग़लत था इन की मांगों में?? उन्होंने हिंसा का सहारा भी तो नहीं लिया था ।!! अभी दो तीन दिन पहले पुलिस ने महिलाओं पर बल प्रयोग किया था, राज्यपाल द्वारा कारण पूछे जाने पर सरकार ने सफाई दी की ये लोग कानून हाथ में ले रहे थे। क्या यही इलज़ाम इन शिक्षक बंधुओं पर भी लगेगा या इन कमज़ोर बेरोज़गारों पे क्रूरता की सफाई देने की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।??
स्कूलों में पद न भरना पहला अपराध है , दूसरा अपराध है लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटना , तीसरा अपराध है विकास के संसाधनों को मूर्तियों और पार्कों पे जाया करना। और हम सब का अपराध है ख़ामोशी से सब कुछ बर्दाश्त करना और भूल जाना। ये सब आखिर कब तक होता रहेगा???

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